नामूस-ए-रिसालत,दहेज़ हटाओ बेटी बचाओं,सामाजिक बुराईयां के खात्मे व सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को लेकर इस्लामिया में हुई कान्फ्रेस

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बरेली,उर्स-ए-रज़वी के आज दूसरे दिन इस्लामिया मैदान में नामूस-ए-रिसालत(नबी करीम की शान-अज़मत),दहेज़ हटाओ-बेटी बचाओ व मुसलमानो में फैली सामाजिक बुराईयां और सोशल मीडिया और हमारे नौजवान पर उलेमा ने चर्चा की। इसको लेकर एक कान्फ्रेस दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत और सय्यद आसिफ मियां की निगरानी में मुल्क भर से आए उलेमा की मौजूदगी हुई। मुख्य वक्ता के रूप में मुफ्ती सलीम नूरी ने खिताब करते हुए कहा कि आज हमारे मुल्क में कोई भी शख्स सस्ती शोहरत हासिल करने के लिए हमारे नबी की शान में गुस्ताखी कर देता है। ऐसे लोग समाज और देश की एकता के लिए खतरा है।

 

 

 

हाल के दिनों में महाराष्ट्र के किसी शख्स ने नबी करीम पर नाकाबिले बर्दाश्त बाते कही। इसको पूरी दुनिया का मुसलमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता। हुक़ूमत ऐसे लोगो पर कार्यवाही करने के बजाय सुरक्षा उपलब्ध करा देती है। और जो लोग ऐसे समाज के दुश्मन के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते है तो उल्टे उन्ही पर हुक़ूमत द्वारा कानूनी कार्यवाही कर जेल में डाल दिया जाता है। घरों पर गैर कानूनी तरीके से बुल्डोजर चला दिया जाता है। इसलिए हम हुकूमत ए हिंद में मांग करते है कि मुल्क में कोई भी शख्स पैगम्बर इस्लाम समेत किसी भी धर्म के रहनुमा पर गलत बयानबाजी करता है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाया जाए। मुसलमानो से भी मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपील करते हुए कहा की लोग ऐसे लोगो के खिलाफ अपना विरोध दर्ज़ कराए प्रदर्शन करे लेकिन अम्नो सुकून के साथ शांति के साथ करे। दूसरे मुस्लिम नौजवान तेज़ी के साथ नशे का आदि हो रहा है। हमे अपनी नौजवान नस्ल को इससे बचाना होगा। इसके लिए मां बाप को ध्यान देने की अधिक ज़रूरत है। साथ ही सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करना होगा।

 

 

 

आज लोग इसके गलत इस्तेमाल के कारण हो कितने नौजवान जेलो में बंद है। दूसरी तरफ आज दहेज़ जैसी सामाजिक बुराइयों की वजह से हमारी बेटियों के कदम बहक रहे है। हाल फिल के दिनों में कितनी बेटियां हमारी गैरों के साथ चली गई। इसकी बड़ी वजह दहेज़ है। दहेज़ की जगह बेटियो को विरासत में हिस्सा दे। बेटियां का मां बाप और भाई खास खयाल रखें। उनकी सही उम्र में शादी कर दे। शादियों में फुजुलखर्ची व गैर शरई रस्में खत्म करने की ज़रूरत है। निकाह को आसान किया जाए। यही पैगाम मरकज-ए-अहले सुन्नत और दरगाह सरपरस्त हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) का है। यही पैगाम को मुल्क भर से आए उलेमा को अपने अपने प्रदेशों में जुमे की नमाज़,जलसे,जूलूस में आम करने की ज़रूरत है।

 

दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का संचालन(निजामत) कारी यूसुफ रज़ा संभली ने किया। कांफ्रेंस में मुख्य रूप से मदरसा मंजर ए इस्लाम के सदर मुफ्ती आकिल रजवी,साउथ अफ्रीका से सूफी कैसर गुमान,मारीशस से सूफी मोइनुद्दीन अल्लाह बख्श,अफ्रीका से पीर नेहाल खोची,नेपाल से मौलाना फूल नेमत रजवी,अडमान निकोवार से मौलाना अब्दुल जलील,मुफ्ती कफील हाशमी,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मौलाना अख़्तर,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मुफ्ती इब्राहीम, कारी सखावत हुसैन,कारी इकबाल मुरादाबादी आदि लोग शामिल रहे।

 

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