79 वां उर्स ए आले रसूल खानकाहे वामिकिया कुल शरीफ़ का हुआ समापन

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बरेली। 79 वां उर्स ए आले रसूल खानकाहे वामिकिया का बुधवार को बड़ी ही खूबसूरती के साथ कुल शरीफ़ का समापन हो गया। जिसमे काफी दूर दराज से मुरीदीन वा अकीदतमंद मौजूद रहे। खास तौर पर खुसूसी मेहमान सैयद जफर इक़बाल इंग्लैंड और धावा शरीफ के साहिबे सज्जादा सय्यद असद मियां ने भी शिरकत की । बुधवार को खानकाह वामिकीया का तीन रोजाए उर्स का आज बड़ी शानो ओ शौकत से आयोजन किया गया था जिसमें उर्स का आगाज़ तिलावते कुरान से हुआ ।उसके बाद दीगर जगह से चादरों का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें उनके अकीदतमंद चादर व फूल लेकर पहुंचे ।काफी संख्या में लोगो ने मजार पर चादरें व फूल चढ़ाकर ,मन्नते मांगी फिर दूसरे दिन इसी तरह से जायरीनों का मजार पर आने का ताता लगा रहा। फिर ईशा की नमाज़ के बाद महफिल ए सीमा का भी आयोजन किया गया जिसमे कव्वालों ने वामिक मियां के शान में कलाम पड़ कर महफिल का समा बांध दिया जिसमें  बैठे दीवाने वा  अकीदतमंद झूमने लगे।और  फिर रात दो बजे महबूब ए इलाही हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया का कुल शरीफ़ हुआ और 23 अक्तूबर की सुबह कुल शरीफ़ का आगाज़ हुआ जिसमें उलमाए इकराम ने वामिक मियां के हयाते जिंदगी पर रौशनी डालते हुए कहा वामिक मियां एक फातमी सय्यद के  घराने से ताल्लुक रखते है।और उन्होंने अपनी जिंदगी अल्लाह और उसके रसूल के नाम वक्फ करदी और 106 साल का लिखा हुआ दीवान इस बार तौसीफ़ ए सरकार ए अरब इस बार मंजर ए आम पर आ गया और जिसकी पूरी तफसील साहिबे सज्जादा सय्यद असलम मियां वामिकी ने  ब्यान की और डॉ मेहमूद हुसैन ने भी वामिक मियां और निशात मियां के बारे कहा कि इन दोनों वलियों ने काफी कलाम लिखे ,जिसमें अदब के लिहाज से अपने सारे कलाम में मुहम्मद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। और उसके बाद ठीक 1 बजे कुल शरीफ़ शुरू हुआ जिसमें नियाज़ नजर के बाद ख़ास दुआ सय्यद असलम मियां ने मुल्क की खुशहाली और अमन चैन के लिए दुआ करी और दुरुदो सलाम के बाद लंगर ए आम हुआ।

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