जीव और ब्रह्म का मिलन ही महारास है – आचार्य मुकेश

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बरेली:मीरा की पैठ स्थित ठाकुर जी महाराज मंदिर मे चल रही    श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह धूमधाम से हुआ। कथावाचक आचार्य मुकेश मिश्रा ने व्यासपीठ से अपने संबोधन में कहा कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए।रास पंचाध्यायी का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा  कि ठाकुरजी के गीतों को गाने से सहज भक्ति की प्राप्ति होती है। इस दौरान धन को परमार्थ में लगाने की सलाह दी गई।उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। जीव और ब्रह्म का मिलन ही महारास  है कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भगवान कृष्ण रुक्मणी की झांकी बनाई गई और वेद मित्रों के साथ भवन में विवाह संपन्न कराया गया कृष्ण विवाह पर भक्ति झूमते हुए नजर आए।कथा के मुख्य यजमान  रजेश गुप्ता ने व्यास मंच की पूजा अर्चना की। पंडित प्रभाव मिश्रा ने वेदमंत्रो के साथ पूजा संपन्न कराई। इस मौके पर गिरिजा किशोर गुप्ता, राहुल गुप्ता, वेद प्रकाश गुप्ता, नरेश मिश्रा, मुरारी लाल गुप्ता, राहुल गुप्ता ,विष्णु गुप्ता,विजय कुमार गुप्ता, आदि का विशेष सहयोग रहा।

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