निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भर रहे है दम ,
बरेली। मुस्लिम समाज को शिक्षा द्वारा तरक्की की रास्ते पर ले जाने की मंशा रखने वाले युवा प्रत्याशी वसीम मियां ने बरेली लोकसभा सीट से ताल ठोंकी है। वह पढ़े लिखे होने के तकनीकी ज्ञान में कुशल है। वह आईटी के क्षेत्र में एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने के साथ मोटिवेशनल वीडियो बनाने का शौक रखते है। उन्होंने वर्ष 1990 के बाद समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा तब से ना जाने कितने युवाओं को पढ़ा लिखाकर उनके जीवन को खुशियों से भर दिया। वसीम मियां ने बातचीत में कहा कि जब लोगों को बरेली में कंप्यूटर के बारे में पता नहीं था ,उस समय बरेली में कई स्कूल -कॉलेज के निजी विवि में अपनी सेवाएं दे रहे है। उनका पहला मकसद है वह राजनीति के माध्यम के मुस्लिम समाज को तरक्की के रास्ते पर ले जाए। वसीम मियां यह भी कहते हैं कि चुनाव में आने का मक़सद युवाओं में जागरूकता लाने की है। ताकि युवा वर्ग चुनाव में आगे आए और अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराए।
साथ ही विकास को लेकर वसीम मियां बताते है कि बरेली शहर विकास के मामले में भले ही आगे हो लेकिन उनके हिसाब से बरेली पिछड़ गया हैं। उत्तर प्रदेश में बरेली अपनी एक अलग पहचान रखता है उसके बावजूद यहां का युवा बेरोज़गार हैं और नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों में जाकर भटक रहा हैं। मेरे हिसाब से तो विकास की परिभाषा युवाओ से शुरू होती हैं। बरेली में बड़े स्तर पर ज़री दरदोज़ी और सुरमे का काम था जिसके लिये बरेली जानी जाती थी। वह काम लगभग खत्म होनें की कगार पर हैं। युवा बेरोज़गार हो चुका हैं। मुस्लिमों को लेकर वसीम मियां कहते हैं मुस्लिम वोटो का हमेशा इस्तेमाल किया गया। आजादी के बाद से अब तक मुसलमानों के जीवन में कोई बदलाव नहीं दिखा।1989 के बाद हम एक भी मुस्लिम सासंद बरेली को नहीं दें पाए। ये एक ऐसी सीट हैं यहां के नतीजों में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाता है लेकिन फिर भी इस सीट से मुस्लिम प्रत्याशी नहीं जीत सके। उन्होंने कहा इसका कारण मुस्लिम रहनुमाई की कमी हैं। उन्हें इस चुनाव में सभी धर्म के लोगों का साथ है ,जीतकर बरेली को उद्योग धंधे से जोड़कर सभी के विकास में योगदान देने की इच्छा है।