बरेली। मनुष्य अपने जीवन में जो डिग्री हासिल करता है वह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा मात्र है, जबकि व्यक्ति की असली डिग्री उसके संस्कार हैं, जो उसके व्यवहार में झलकते हैं। यह उद्गार कथा व्यास आचार्य मुकेश मिश्रा ने मीरापैठ स्थित ठाकुर जी महाराज मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर व्यक्त किए। कथा के दौरान आचार्य ने कहा शिक्षा मनुष्य के जीवन का सबसे कीमती तोहफा है, जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार मनुष्य के जीवन का सार हैं। अच्छे संस्कारों द्वारा ही मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है और जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा, तभी वह परिवार, समाज और देश का विकास कर सकेगा। कथा में सुकदेव, परीक्षित जन्म, सृष्टि निर्माण, ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र आदि कथाओं पर विशेष प्रकाश डाला। व्यास मंच से कई मधुर भजन गए गए। जिन्हें सुनकर श्रोतागण भाव विभोर होकर झूमने लगे।व्यास मंच का पूजन कथा के मुख्य यजमान उदित मिश्रा सपत्नीक विधिवत किया। पंडित प्रभात मिश्रा ने व्यास मंच का पूजन मंत्रोचार के साथ संपन्न कराया। इस मौके पर गिरिजा किशोर गुप्ता, राहुल गुप्ता, वेद प्रकाश गुप्ता, नरेश मिश्रा, मुरारी लाल गुप्ता, राहुल गुप्ता ,सौरभ गुप्ता, गौरव गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता, आदि का विशेष सहयोग रहा।
संस्कार ही जीवन की सबसे बड़ी डिग्री -आचार्य मुकेश मिश्रा
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